Kawardha News: कवर्धा। श्रीरामकिंकर विचार मिशन के अध्यक्ष स्वामी मैथिलीशरण ने दो दिनों तक कवर्धा के विभिन्न स्थानों में प्रवचन दिए। उन्होंने शहर के अभ्युदय विद्यालय में जाकर बच्चों का उत्साह बढ़ाया।
उन्होंने व्यक्त किया कि जीवन में संगीत, ग्रंथ, और माला को माता सरस्वती ने अपना महत्वपूर्ण हिस्सा बनाया है। यहाँ, वाणी संगीत, माला ईश्वर, और ग्रंथ वेद का प्रतीक है। उन्होंने बच्चों को संबोधित करते हुए बताया कि संतुलित रहना अत्यंत महत्वपूर्ण है और जीवन को स्वतंत्रता और परतंत्रता के संतुलन में बनाए रखना चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि किसी भी गुण की अति भी नुकसानकारी हो सकती है और बच्चों से देश के भविष्य के रूप में उम्मीद की।
‘सा विद्या या विमुक्तये’ को परिभाषित करते हुए, स्वामी मैथिलीशरण ने कहा कि बच्चे विद्यालय में पढ़ते हैं ताकि उन्हें यह ज्ञान हो कि अभी और भी बहुत कुछ सीखना शेष है। यह शिक्षा और ईश्वर की अनंतता है, जिससे व्यक्ति को लगता रहे कि उनके किए गए कार्य से ऊपर भी कुछ है। इसे हम ‘पुरुषार्थ’ और ‘कृपा’ कहते हैं। पुरुषार्थ उपलब्धि के लिए होता है और कृपा से व्यक्ति भगवान की कृपा का अनुभव करता है।
हनुमानजी की कृपा से संपन्न हुआ कार्यक्रम। विद्यालय की प्राचार्य शोभा ने समापन में आभारी भाव से बताया कि इस अप्रायोजित कार्यक्रम को मैं हनुमानजी की कृपा के रूप में देखती हूं। हनुमानजी के बिना, भगवान राम की प्राण-प्रतिष्ठा संभव नहीं है। भक्त के बिना भगवान नहीं होते। और भगवान के बिना, भक्त नहीं हैं। इस अवसर पर विद्यालय के चेयरमैन अभिषेक सिंह, अपर सत्र न्यायाधीश उदय लक्ष्मी सिंह परमार के साथ बड़ी संख्या में शिक्षक-शिक्षिका और विद्यार्थी मौजूद थे।